Thursday, May 10, 2012

वे तो प्रतिपल समाज के अपराधी हें क्योंकि समाज तो प्रतिपल ही उनके प्रति सशंक बना ही रहता ही , डरा और सहमा हुआ रहता है ,


यह साधारण बात नहीं अनन्त अपराध है -
अपराधी वृत्ति के लोग मात्र तभी समाज के प्रति अपराधी नहीं हें जब वे कोई अपराध करते हें , वल्कि वे तो प्रतिपल समाज के अपराधी हें क्योंकि समाज तो प्रतिपल ही उनके प्रति सशंक बना ही रहता ही , डरा और सहमा हुआ रहता है , निरंतर सुरक्षा के उपाय करने में अपना श्रम  , समय , पैसा और ध्यान लगाता है . लगाता क्या है , बर्बाद करता है .
असामाजिक तत्वों की उपस्थिति समाज की शान्ति को असीमित मात्रा में अनंतकाल तक के लिए भंग करती है इसलिए वे कुछ करें या न करें वे समाज के प्रति अनन्त अपराधी हें .

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