शाकाहारियों को शाकाहार के नाम पर अंडे खिलाने का प्रयास/आग्रह क्यों ?
आपकी शाकाहार की परिभाषा क्या है ?
जिस अंडे से बच्चे पैदा नहीं हो सकते वे शाकाहार हें, यह परिभाषा किसने बनाई है ?
क्या जिन वस्तुओं से बच्चे पैदा नहीं हो सकते वे सब शाकाहार हें ?
मांस से भी बच्चे पैदा नहीं हो सकते तो क्या वह भी शाकाहार है ?
क्या यह भ्रामक प्रचार नहीं है ?
अनिषेचित अण्डा ( unfertilized egg ) हालांकि मुर्गा-मुर्गी पैदा करने में सक्षम नहीं है तब भी वह मांसाहार ही है, शाकाहार नहीं, क्यों ?
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल
1. अनिषेचित अण्डा ( unfertilized egg ) हालांकि मुर्गा-मुर्गी पैदा करने में सक्षम नहीं है तब भी वह मांसाहार ही है, शाकाहार नहीं, क्यों ? क्योंकि वह भी मांस की ही तरह पशु के शरीर का ही एक भाग है।
अरे ! किसी वस्तु में किसी प्राणी को जन्म देने की क्षमता है या नहीं इसे मांसाहार या शाकाहार की कसौटी किसने बनाया ? और हम कैसे उनकी बातों में आ गये ?इस परिभाषा के आधार पर तो किसी भी प्राणी के शरीर का कोई भी भाग भी मांसाहार नहीं कहलायेगा क्योंकि उससे भी बच्चा पैदा नहीं हो सकता है।
हम भी कैसे भोले हें, किसी की भी, कैसी भी बातों में आ जाते हें।
लोग भी कैसे वक्र स्वभाव के होते हें जो मुद्दे ही बदल देते हें।
हालांकि अंडे के शरीर से अलग होने की स्थिति में मुर्गी की मृत्यु नहीं होती है पर मृत्यु तो टांग या कोई दूसरा अंग काटकर अलग कर देने पर भी नहीं होती है तो क्या उसे मांस नहीं कहेंगे ?
अरे भाई मांस तो मांस ही है न ?
अरे भाई मांस तो मांस ही है न ?
2. मांस में निरंतर अनंत जीवों की उत्पत्ती होती रहती है वह इसलिए भी अभक्ष्य है और इसी तरह अंडा भी।
एक और बात -
3. अंडा एक ऐसे जीव का उत्पाद है जो कि अपने अंडे को प्यार करता है क्योंकि वह उसकी संतान उत्पत्ती का साधन है, वह किसी भी कीमत पर उसे बचाना और सम्भालना चाहता है और उसके नष्ट हो जाने या गुम हो जाने की स्थिति में मुर्गी को संतान की मृत्यु के सामान पीड़ा होती है और इस तरह क्रूरता पूर्वक किसी प्राणी को उसकी संतति के विरह का दुःख पहुंचाना महापाप है।
4- यूं भी किसी वस्तु के प्रति हमारी तीव्र लालसा बहुत बड़ा पाप है और जगत की प्रचलित मान्यता के विरुद्ध कोई आचरण तीव्र लालसा के बिना नहीं हो सकता है।
आदि काल से धर्म ग्रंथों और धार्मिक समाज में अंडे को मांसाहार कहा गया है फिर भी उसे खाने का आग्रह बिना अतितीव्र लालसा के सम्भव नहीं है और यही लालसा महापाप है जो कि अंडे के सेवन से होता है।
अरे भाई ! जगत में अत्यंत पौष्टिक और अत्यंत स्वादिष्ट अनेकों पदार्थ हें जो कि निर्दोष खाद्य हें, तब फिर ऐसी किसी विशेष वस्तु के प्रति ही इतना तीव्र आग्रह क्यों, जो दोष युक्त है और स्थापित लोक मान्यताओं के विरुद्ध भी ?
सच तो यह है कि "मांसाहार" शब्द ही गलत है क्योंकि यह मांस को आहार के रूप में परिभाषित करता है, क्या आपने कभी भी किसीको "जहर आहार" शब्द का प्रयोग करते देखा है ? नहीं न ? क्योंकि जहर तो जहर है, वह आहार है ही नहीं न ! इसी प्रकार मांस तो मांस है जो कि एक जीते-जागते संवेदनशील प्राणी का शरीर है और जिसका सेवन या तो उस प्राणी को मार डालता है, या उसे अपंग बना देता है; और ये दोनों ही महापाप हें, वह आहार कैसे हो सकता है ?
इसके अलावा मांस में प्रतिपल होने वाली अनंत जीवों की उत्पत्ती तो उसे भोजन के अयोग्य बनाती ही है।
जगत के निहित स्वार्थ वाले दुष्प्रचार से निर्देशित होना योग्य नहीं है।
हो सकता है कि कन्फ्यूज हो जाने की स्थिति में कुछ समय तक या लम्बे काल में भी आपको किसी से समाधान न मिल सके पर ऐसी स्थिति में अपने मार्ग से भ्रष्ट हो जाना उचित नहीं है।
आखिर आपके अज्ञान की सजा वह निरीह प्राणी क्यों भुगते ?
आखिर आपके अज्ञान की सजा वह निरीह प्राणी क्यों भुगते ?
मान लीजिये आप किसी खाद्य पदार्थ के बारे में कन्फ्यूज हो गए कि यह कही प्राण घातक बिष तो नहीं है ? फिर लम्बे काल तक आपको किसी से भी इस प्रश्न का उचित समाधान न मिले तो क्या आप उस पदार्थ का सेवन करेंगे ?
नहीं न ?
क्योंकि आप उसका सेवन न करें तो आपका कुछ भी तो नहीं बिगड़ रहा है, पर सेवन करने पर जान जाने का ख़तरा है।
इसी प्रकार जहां भी शंका हो उस पदार्थ के सेवन से दूर रहना ही उचित है।
यही सही नीति है।
Wouldn't milk fall in the same category of being an animal product? What state is the milk producing animal kept in so she can produce milk? And the conditions/way of collecting that milk?
ReplyDeleteHere too no grossly evident life is lost? And here too, isn't it our love for milk and milk products that makes us give arguments for using milk.
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