आपको रोकने के लिए भी उन्हें कुछ करना नहीं पड़ता है ,बस उनकी प्रति आपकी दुश्चिंता स्वयं ही आपको उलझाए रहती है-
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
यदि हमें चैन-शुकून से जीना है तो हमें सावधान रहना चाहिए कि हम अपने आसपास किसी को शत्रु न बनने दें .
शत्रु हमें निरंतर अपनी सुरक्षा की चिंता , चिंतन और इंतजाम में ही उलझाए रखते हें , न तो हमें कुछ और करने देते हें और नही आगे बढ़ने देते हें . आपको रोकने के लिए भी उन्हें कुछ करना नहीं पड़ता है ,बस उनकी प्रति आपकी दुश्चिंता स्वयं ही आपको उलझाए रहती है , आपका भय ही आपको आतंकित रखता है .
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