Friday, July 13, 2012

आहार , निद्रा , भय और मैथुन यह सब तो तूने पशु की योनी में भी किया था , अब यह मानव जीवन भी बस इसी काम में गुजार देगा क्या ? क्या तुझे नहीं लगता क़ि यह जीवन किसी विशेष काम के लिए है ? क्या हो सकता है वह विशेष काम ? आत्मा और परमात्मा की खोज , उनकी उपलब्धि !

आहार , निद्रा , भय और मैथुन यह सब तो तूने पशु की योनी में भी किया था , अब यह मानव जीवन भी बस इसी काम में गुजार देगा क्या ?
क्या तुझे नहीं लगता क़ि यह जीवन किसी विशेष काम के लिए है ?
क्या हो सकता है वह विशेष काम ?
आत्मा और परमात्मा की खोज , उनकी उपलब्धि !
तो कैसे होगा यह ?
प्रत्येक काम में सफलता के लिए विशेष प्रयत्न और विशेष योग्यता की आवश्यकता होती है .
हम कोई भी छोटे से छोटा काम करते हें तो पहिले बर्षों तक उसका अभ्यास करते हें , उसमें दक्षता हासिल करते हें .
तो आत्मा की और परमात्मा की खोज के लिए तूने क्या किया है ?
आत्मा और परमात्मा की खोज करने के लिए भी उसी स्तर की दक्षता जरूरी है , और फिर समय भी चाहिए ,समर्पण भी .
यह सब देकर भी , किसी भी कीमत पर भी यदि इस जीवन में यह मिल जाए तो सौदा महंगा नहीं है , जीवन सफल हो जाएगा .
किसी भी वस्तु की आधी अधूरी उपलब्धि काम की नहीं होती है , सम्पूर्णता ही काम आती है .
हमने धर्म के नाम पर आत्मा या परमात्मा की जो थोड़ी बहुत बातें सुन या जान ली हें उनसे हमारे किसी प्रयोजन की सिद्धी होने बाली नहीं है ,हमें उनकी गहराई में जाना होगा , सम्पूर्णता के साथ समझना होगा .

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