Saturday, August 15, 2015

यदि सल्लेखना आत्महत्या है तो यह सब क्या है ? तब क्या सरकार स्वयं ही हत्यारी नहीं है ? सल्लेखना पर प्रतिबन्ध : कुछ जिज्ञासाएं

यदि सल्लेखना को आत्महत्या कहा जाता है तो -


"क्या उन सैनिकों, पुलिसवालों और दमकल 

कर्मचारियों को आत्महत्या के प्रयास का दोषी और 

उनकी एम्प्लोयर सरकार को आत्महत्या के लिए 

उकसाने का/ह्त्या या गैरइरादतन ह्त्या का  दोषी नहीं 

माना जाना चाहिए जो देश व नागरिकों की रक्षा के 

लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देते हें.यह जानते हुए

 भी कि उनके जीवन को खतरा है. और क्या उनके 

परिजन भी उन्हें आत्महत्या के लिए उकसाने के दोषी

 नहीं होंगे "

यदि क़ानून स्पष्ट नहीं है या अदालत वर्तमान कानून की व्याख्या सही परिपेक्ष्य में करने में सक्षम नहीं है तो सरकार तुरन्त क़ानून में संशोधन करे!

अंधे क़ानून और न्यायालय की आँखें खोलने हेतु 

जनांदोलन का सूत्रपात -


please join group - "public movement against court decision 

against sallekhna (santhara)" click on link -

https://www.facebook.com/groups/872477029498401/







सल्लेखना पर प्रतिबन्ध : कुछ जिज्ञासाएं
    
  -       परमात्म प्रकाश भारिल्ल

मैं और जनसामान्य क़ानून के विद्वान तो नहीं हें पर कुछ प्रश्न तो सबके मष्तिष्क में उठने स्वाभाविक हें. उचित प्रक्रिया पूर्वक ये प्रश्न न्यायालय में उठाये जाए पर सम्भव है कि इन प्रश्नों के जबाब खोजते हुए माननीय न्यायालय सल्लेखना के सन्दर्भ में अपना फैसला बदलने पर सहमत हो जाए.
यदि स्वाभाविक मृत्यु की ओर अग्रसर साधक को, जिसे न तो म्रत्यु का भय हो और न ही जीवन का लोभ, जिसे न तो जीवन से विरक्ति हो गई हो और न ही जो मृत्यु के लिये आतुर व लालायित हो, अपनी भूमिका की मर्यादा में रहकर प्रतिकार संभव न होने की स्थिति में या जब जीवन का पोषण करने वाला अन्न ही जीवन का शोषण करने लगे तो, अहार का त्याग करदेने/होजाने को और स्वाभाविक रूप से होरही म्रत्यु को सहज भाव से ज्ञाता-द्रष्टा रहकर स्वीकार करने को आत्महत्या माना जाता है तो -
a-      एक ऐसा मरणासन्न मरीज जो उचित इलाज उपलब्ध करबाए जाने पर बच सकता है, उसे यथासमय उचित इलाज उपलब्ध न करबाना क्या ह्त्या की श्रेणी में नहीं आ जाएगा?
क्या परिजन, मित्र, समाज और सरकार इस प्रकार की ह्त्या के लिए जिम्मेबार नहीं ठहराए जा सकते हें?

b-      ऐसे इलाज के लिए अपने आपको प्रस्तुत न करना/न करपाना भी क्या आत्महत्या की श्रेणी में नहीं आ जाएगा?
तो क्या उक्त प्रकार के मरीज को आत्महत्या के प्रयास का दोषी माना जाना चाहिए/ माना जाएगा.

c-       मरणान्तक मरीजों का समुचित इलाज न करने, उनकी उपेक्षा करने, उनपर ध्यान न देने, उन्हें उचित दवाएं उपलब्ध न करबाने, उनका आपरेशन (यदि आवश्यक हो) नहीं करने, और आवश्यक जीवन रक्षक उपकरणों का प्रयोग न करने के लिए क्या डाक्टर, नर्सिंग स्टाफ, अस्पताल, म्युनिसिपल कारपोरेशन, स्वास्थ्य मंत्रालय व राज्य और देश की सरकार इरादतन/बिना इरादतन ह्त्या के दोषी नहीं माने जाने चाहिए ?

d-      जीवन बचने की संभावना ख़त्म होजाने के बाद, जीवन रक्षक उपकरण जैसेकि- heart & lung mechene या ventiltor हटा लेने को क्या ह्त्या की श्रेणी में नहीं माना जाएगा?
अन्यथा  
क्या अनंतकाल तक मरीज को इस प्रकार के जीवनरक्षक उपकरणों के सहारे मृतवत जीवन जीने के लिए विवश किया जाएगा?

e-      क्या उन सनिकों, पुलिसवालों और दमकल कर्मचारियों को आत्महत्या के प्रयास का दोषी और उनकी एमप्लोयर सरकार को आत्महत्या के लिए उकसाने का/ह्त्या या गैरइरादतन ह्त्या का  दोषी नहीं माना जाना चाहिए जो देश व नागरिकों की रक्षा के लिए अपने प्राणों की बाजी लगा देते हें.

f-       क्या प्रत्येक गाँव में जीवन रक्षक सुबिधायें उपलब्ध न करबाने के लिए सरकार व समाज को ह्त्या/गैरइरादतन  ह्त्या या आत्महत्या के लिए उकसाने/सहायता करने का अपराधी नहीं माना जाना चाहिए?

g-      क्या ऐसे लोगों को आत्महत्या का प्रयास करने वाला और सरकार को आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराधी नहीं माना जाना चाहिए जो ऐसे खतरे वाले स्थानों पर रहते हें जहां प्रतिबर्ष नीवन नाशक प्राकृतिक बिपदायें  जैसे बाढ़ आदि आती हें.

h-      क्या किसी डाक्टर द्वारा रोग का गलत डायग्नोसिस करने को या अनुपयुक्त इलाज करने की दशा में मरीज की म्रत्यु होजाने को गैरइरादतन ह्त्या का दोषी माना जाएगा?

i-        क्या बेघर लोगों का सड़क के किनारे फुटपाथ पर सोना आत्महत्या का प्रयास नहीं माना जाना चाहिए और क्या उन्हें सुरक्षित घर उपलब्ध करबाने में असफल सरकार को आत्महत्या के लिए उकसाने का दोषी नहीं माना जाना चाहिए ?

j-        भोजन न मिलने की कारण भूख से मरने बाले लोगों की इरादतन/गैरइरादतन ह्त्या का दोषी सरकार को नहीं माना जाना चाहिए ?

k-      भोजन न मिलने के कारण कई दिनों से भूखे रह रहे लोगों को आत्महत्या का प्रयास करने वाला या सरकार को आत्महत्या के लिए उकसाने का अपराधी नहीं माना जाना चाहिए?

l-         किसी व्यक्ति द्वारा किसी से अपने जीवन को खतरे की आशंका व्यक्त किये जाने पर सरकार/पुलिस द्वारा उसे समुचित सुरक्षा उपलब्ध न करबाया जाना क्या गैरइरादतन ह्त्या की श्रेणी में नहीं माना जाएगा?
क्या पुलिस और सरकार को इसके लिए दोषी नहीं माना जाना चाहिए?


इसी प्रकार के अनेकों प्रश्न जनसामान्य के मष्तिष्क में उठने स्वाभाविक हें.

यदि क़ानून स्पष्ट नहीं है या अदालत वर्तमान कानून की व्याख्या सही परिपेक्ष्य में करने में सक्षम नहीं है तो सरकार तुरन्त क़ानून में संशोधन करे.

इन्हें उचित प्लेटफोर्म पर उचित प्रक्रिया द्वारा प्रभावशाली ढंग से उठाये जाने की जरूरत है. 

No comments:

Post a Comment