अपमानित करने के लिए किसी को उसकी कमजोरियां बतलाना शत्रुता भरा व्यवहार है और कमजोरी दूर करने के लिए यही काम करना गुरुता .
हम अन्जाने ही अपने अपनों के दुश्मन की भूमिका निभाते रहते हें , जब हम अपमानजनक ढंग से उन्हें उनकी कमजोरियों का ज्ञान करबाकर उनका उपहास करते हें , ऐसे लोगों को बाहर के किसी दुश्मन की क्या जरूरत है ?
कमजोर तो कमजोर ही रहेगा , मजबूर तो मजबूर ही रहेगा .
आप उसके अपने होने के नाते उसकी कमजोरी बनते हें या उसकी मजबूती यह आपके व्यवहार से प्रकट होता है .
हम किसी को उसके कमजोरियों का अहसास दिल-दिलाकर उसकी हिम्मत न तोड़ें , उसे कमजोर न बनाएं वल्कि उसकी उसे उसकी शक्तियों का ज्ञान करबाकर उसे मजबूती प्रदान करें .
किसी की कमियों का ज्ञान उसे कमजोरियां दूर करने के लिए किया जाना चाहिए और उसकी योग्यताओं का ज्ञान उनका सदुपयोग करने के लिए .
सज्जन और शुभ चिन्तक लोग अपने प्रिय पात्रों को मजबूती प्रदान करने का काम करते हें .
ऐसा करने के लिए हमें उसे अपना कुछ देना नहीं है , उससे उसकी पहिचान करबानी है .
ऐसा करने के लिए हमें उसे अपना कुछ देना नहीं है , उससे उसकी पहिचान करबानी है .
महापुरुष यही काम करते हें , यही उनका हम पर , समाज पर और मानवता पर उपकार है .
और दुष्ट किसे कहते हें ?
किसी की कमजोरियों को उजागर करके उसका मजाक उड़ाना , उसकी हिम्मत तोड़ना , याह दुष्टता का काम है , यह हमारी उसके प्रति क्रूरता है , यह अत्याचार की श्रेणी में आता है .
शिक्षकों का काम ही हालांकि हमारी कमजोरियों को उजागर करना है पर यह काम बड़ा ही नजाकत वाला काम है , आदर्श शिक्षक किसी को ठेस पहुंचाए बिना नजाकत के साथ उसकी कमजोरियां बतलाता है और उन्हें दूर भी कर देता है . किसी कमजोरी के लिए किसी को प्रताड़ित करना शिक्षक की अयोग्यता और असफलता है .
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