जन्म दिवस पर - 30 सितम्बर 2013
अंत्यंत आभारी हूँ आप सभी का जिन्होंने स्नेह प्रदान किया , व्यक्त किया।
अंत्यंत आभारी हूँ आप सभी का जिन्होंने स्नेह प्रदान किया , व्यक्त किया।
उम्र बढ़ती है , हम बुड्ढे होते हें , कुछ और नहीं तो लोग इस झुर्रियों दार चेहरे का और सफ़ेद बालों का ही आदर करने लगते हें।
क्या यह आदरणीय हैं ?
these people are gainer or looser ?
क्या यह आदरणीय हैं ?
these people are gainer or looser ?
उपलब्धि नहीं है वक्त बिताना
अब संसार बिताना होगा
अब तक तो सब किया बहिर्मुख
अब अन्दर आना होगा
अब संसार बिताना होगा
अब तक तो सब किया बहिर्मुख
अब अन्दर आना होगा
ढलने का निश्चित क्रम लेकर ही
सूरज उगता है
चड़ता सा भी दिखे यदि
पर यह प्रतिपल ढलता है
सूरज उगता है
चड़ता सा भी दिखे यदि
पर यह प्रतिपल ढलता है
कहने को यह जन्मदिवस है
मुझको मौत नजर आती है
दैदीप्यमान दीपक की बाती
कुछ पल में ही तो बुझ जाती है
मुझको मौत नजर आती है
दैदीप्यमान दीपक की बाती
कुछ पल में ही तो बुझ जाती है
नकारात्मक सोच नहीं यह
यह तो जीवन का सच है
आँख मूंदकर बैठे रहने का
यूं तो सबको ही हक है
यह तो जीवन का सच है
आँख मूंदकर बैठे रहने का
यूं तो सबको ही हक है
शेखचिल्ली के सपनों को क्या
सकारात्मक सोच कहोगे
रमणीय ख़्वाबों में रच बस कर
क्या सब कुछ यूं ही लुटबा दोगे
सकारात्मक सोच कहोगे
रमणीय ख़्वाबों में रच बस कर
क्या सब कुछ यूं ही लुटबा दोगे
जीवन में यदि सचमुच ही
तुमको कुछ पाना है
दौड़ भाग तो बहुत हुई
बस अब तो थम ही जाना है
तुमको कुछ पाना है
दौड़ भाग तो बहुत हुई
बस अब तो थम ही जाना है
उछला कूदा , मदमस्त रहा
जग भर में घूमा , इठलाया
चैन शुकून न मिला पल को
मैंने खुद को निष्फल पाया
जग भर में घूमा , इठलाया
चैन शुकून न मिला पल को
मैंने खुद को निष्फल पाया
थकहारकर मन मारकर जब
संध्याकाल में निज घर आया
उद्विग्नता तब शांत हुई
मर्म मुझको समझ आया
संध्याकाल में निज घर आया
उद्विग्नता तब शांत हुई
मर्म मुझको समझ आया
वहिर्गमन ही हार है
अंतर्रमण ही जीत
आत्मा ही है शरण
शांति का संगीत
अंतर्रमण ही जीत
आत्मा ही है शरण
शांति का संगीत
नववर्ष की शुभकामनाएं
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