Monday, July 9, 2012

एक बात बतला ! संसार बढाने बाला कौनसा काम तूने बाकी रखा है जीवन में विपरीत परिस्थितियों के नाम पर ? सब कुछ तो किया है . सब पाप , सारे कृत्य . अब जब संसार काटने की बात आती है तो सारी प्रतिकूलताएं बाधक बनने लगतीं हें ? तू किसे धोखा दे रहा है ?

एक बात बतला !
संसार बढाने बाला कौनसा काम तूने बाकी रखा है जीवन में विपरीत परिस्थितियों के नाम पर ?
सब कुछ तो किया है .
सब पाप , सारे कृत्य .
अब जब संसार काटने की बात आती है तो सारी प्रतिकूलताएं बाधक बनने लगतीं हें ?
तू किसे धोखा दे रहा है ?
अपने आप को ही न ?
अरे हम कौन ?
तुम जो भी जबाब दे दोगे , हम सुनकर चले जायेंगे पर तुम ही कोरे रह जाओगे !
यदि कुछ करना है तो मार्ग हमारे पास है .
तुम्हारी सब समस्याओं का हल , सब सबालों का जबाब .
जीवन तो जितना है उतना है .
परिस्थितियाँ भी जो जैसी हें वैसी ही हें .
इन सब में कोई परिवर्तन नहीं हो सकता है .
अब यह तेरी मर्जी क़ि तू क्या करना चाहता है , क्या बनना चाहता है ?
वैसे तेरे पास कोई कमी नहीं है , जो कुछ भी है वह अधिक ही है , क्योंकि आत्मा के लिए , आत्म कल्याण के लिए कुछ भी नहीं चाहिए .
और यदि कुछ भी नहीं चाहिए तो वह सब जुटाने के लिए समय की भी आवश्यकता नहीं है .
तब तेरे पास का सारा का सारा समय तेरे लिए ही तो है .

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