सबसे पहिले वह काम करलें जो मात्र इस मानव जीवन में हो सकता है , जिसके हो जाने से यह जीवन सार्थक हो जाएगा और जिसके बिना यह जीवन निरर्थक रह जाएगा .
सार्थक और सफल जीवन के लिए जीवन लंबा होना आवश्यक नहीं है , बस कुछ ही लम्हे (पल) काफी हें जीवन की सार्थकता के लिए .
एक ब़ार अपने आप को जान लिया , पहिचान लिया और अपने में ही स्थित हो गए तो जीवन सफल हो गया , और यह काम तो पलों में ही हो सकता है क्योंकि जानने वाला भी मैं और जानने में आने वाला भी मैं ही , फिर किसका इंतजार है , देर किस बात की है ?
जीवन में अगर यह काम हो गया तो फिर क्या फर्क पड़ता है क़ि थोड़ा ज्यादा जिए या थोड़ा कम जी पाए ?
यदि जीवन यह करना ही नहीं है तो क्या फर्क पड़ जाएगा , चाहे कितना ही अधिक जी लें .
सार्थक और सफल जीवन के लिए जीवन लंबा होना आवश्यक नहीं है , बस कुछ ही लम्हे (पल) काफी हें जीवन की सार्थकता के लिए .
एक ब़ार अपने आप को जान लिया , पहिचान लिया और अपने में ही स्थित हो गए तो जीवन सफल हो गया , और यह काम तो पलों में ही हो सकता है क्योंकि जानने वाला भी मैं और जानने में आने वाला भी मैं ही , फिर किसका इंतजार है , देर किस बात की है ?
जीवन में अगर यह काम हो गया तो फिर क्या फर्क पड़ता है क़ि थोड़ा ज्यादा जिए या थोड़ा कम जी पाए ?
यदि जीवन यह करना ही नहीं है तो क्या फर्क पड़ जाएगा , चाहे कितना ही अधिक जी लें .
No comments:
Post a Comment