Thursday, July 18, 2013

हम यह तो भूल ही जाते हें कि लड़ाई का अंतिम परिणाम चाहे कुछ भी क्यों न हो पर नाक तो दोनों ही पक्षों की उसी दिन कट जाती है , जिस दिन झगडा प्रारम्भ होता है .

लड़ाई का अंतिम परिणाम चाहे कुछ भी क्यों न हो पर नाक तो दोनों ही पक्षों की उसी दिन कट जाती है , जिस दिन झगडा प्रारम्भ होता है .
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

लड़ाई - झगडा और तकरार में किसी को कोई फायदा नहीं , यूं तो इसमें जीत और हार की कोई परिभाषा ही नहीं है तथापि यदि मान भी लें कि कोई जीता - कोई हारा तब भी इसके कोई मायने नहीं हें .
चाहे कोई जीते या कोई हारे पर नुकसान तो दोनों को ही होता है , किसी का कुछ कम , किसी का कुछ ज्यादा .
तब अपना नुकसान करने से क्या फायदा ?
एक बात और -
झगडा यदि अपनों से ही है , तब तो और भी बुरी बात है , तब तो दोनों और का नुकसान अपना ही नुकसान है .
और आखिर झगडा किसलिए ?
ज्यादातर झगडे तो नाक के लिए होते हें .
हम यह तो भूल ही जाते हें कि लड़ाई का अंतिम परिणाम चाहे कुछ भी क्यों न हो पर नाक तो दोनों ही पक्षों की उसी दिन कट जाती है , जिस दिन झगडा प्रारम्भ होता है .

अरे भाई ! समझदारी तो न झगड़ने में ही है .

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