वचपन में मैं साइकल पर स्कूल जाया करता था , एक दिन मेरे एक मित्र ने मुझे ओवरटेक किया और घबराहट भरे स्वर में बोला , तुम्हारा पिछला पहिया घूम रहा है और मैं घबराकर रुक गया, अभी कुछ देखूं और समझ पाऊं वह ठठाकर हंस पडा , अरे पहिया घूमेगा नहीं तो साइकल चलेगी कैसे ?
होता यह है क़ि हम बात नहीं सुनते हें और न समझ पाते हें , हम तो बस इतना समझ पाते हें क़ि सामने बाला दहशत और घबराहट में बात कर रहा है तो जरूर कोई ख़तरा है . और हम बहक जाते हें ,
देखी हुई बात सुनीगाई बात से ज्यादा प्रभावी होती है .
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