Monday, November 21, 2011

--------लोग स्वयं जिस मूड में रहकर हमें देखते हें हम उन्हें बैसे ही दिखने लगते हें , यदि कोई प्यार से हमें देखता है तो हम प्यारे से लगते हें और यदि कोई घ्रणा से देखता है तो उसे हम घ्रणित दिखते हें .--------


हम सदा एक से ही होते हें ,फिरभी लोग स्वयं जिस मूड में रहकर  हमें देखते हें हम उन्हें बैसे ही दिखने लगते हें , यदि कोई प्यार से हमें देखता है तो हम प्यारे से लगते हें और यदि कोई घ्रणा से देखता है तो उसे हम घ्रणित दिखते हें .
लोग हमसे कहते हें क़ि यार ! बड़े बदले बदले से नजर आ रहे हो ? 
पर हम नहीं उनकी निगाहें ही बदली हुई होतीं हें .

नाप जोख के खेल में 
अपने ही छल जाते हें 
मैं तो वही रहता हूँ 
पर पैमाने बदल जाते हें 

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