जहाँ आने का कोई कारण न हो उसे घर कहते हैं , न तो घर पर आने का कोई कारण होता है और न घर पर रुकने का ,जब कोई कारण हो तो कोई घर से बाहर जाता है और फ़िर काम निपटने पर अपने घर लौट आता है.
जब आप कहीं जायें और कोई पूंछे कि कहिये कैसे आना हुआ तो समझलेना चहिये यह अपना घर नहीं है , यहाँ न तो बिना कारण के आया जा सकता है और न ही बिना कारण के रुका ही जा सकता है , अपना काम पूरा होते ही यहाँ से जाना होगा.
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल (एक विचार)
bhool sudhaar(भूल सुधार )-
घर में यदि हो घरबाली , कारण बतलाना पड़ता है
bhool sudhaar(भूल सुधार )-
घर में यदि हो घरबाली , कारण बतलाना पड़ता है
कैसा भी कब चलता,समय से आना जाना पड़ता है
कभी यदि हो जाए देरी , तब फुसलाना पड़ता है
तब भी यदि वह क्रोधित हो,मन समझाना पड़ता है
No comments:
Post a Comment