Saturday, November 12, 2011

हमें तो पूरी इमानदारी और अपनी सम्पूर्ण क्षमताओं के साथ अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए और फिर इस बात की चिंता छोड़ देनी चाहिए क़ि कौन क्या सोचता है ,कौन क्या कहता है यह़ी सुखी रहने का उपाय है ..


हम चाहे अपने सम्पूर्ण अस्तित्व को ही क्यों न दाव पर लगादें , पर दूसरों की अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतर सकते हें  , उन्हें कभी भी पूर्णत: संतुष्ट नहीं कर सकते हें ,तब क्यों हम अपने आपको झोंक डालें . हमें तो पूरी इमानदारी और अपनी सम्पूर्ण क्षमताओं के साथ अपने कर्तव्य का पालन करना चाहिए और फिर इस बात की चिंता छोड़ देनी चाहिए क़ि कौन क्या सोचता है ,कौन क्या कहता है यह़ी सुखी रहने का उपाय है ..

न मांगने पै विदाई सबको मिले 
लो सुनो भाइयो
अब हमतो चले 
  
फूंक डाला है मैंने मेरा आसियां,
माफ़ करना 
तुम्हारे दिए जो जले न जले 

सींची अपने लहू से ये क्यारियां 
क्या करूं जो
सुमन दो खिले न खिले

मैंने तो जुटाया अरे कारवां 
साथ पर वे 
कदम दो चले न चले

ये बात उनकी नहीं जो दगाबाज थे 
ये उनकी कहानी 
जो भलों से भले  

हमको झूंठी कहानी सुनाते रहे 
ये वो है कहानी
जो न उतरे गले

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