जो गिरतों को उठा लेते हें , उन्हें सर पर बिठा लेते हें
जो यूं ही गले पड़ जाएँ , उन्हीं को गले लगा लेते हें
कुछ खाली पेटों के लिए , काटते हें पेट अपना
जिनके लडखडाते हें कदम ,उनसे कदम मिला लेते हें
कुछ इस तरह बदनसीबी से , जिनने निभाये रिश्ते
उनका कहाँ ठिकाना , बो बसते कहाँ फरिश्ते
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