हम प्रसन्न हुए , जो चाहो सो मांगलो !
तो क्या आपकी प्रसन्नता हमें भिखारी ही बनायेगी ?
क्या हम भिखारी से दिखते हें ?
नहीं ! तुम काबिल हो , तुम्हें सब कुछ मिलना ही चाहिए , यह तुम्हारा हक़ है .
यदि हक़ है तो मांगने पर ही क्यों , यूं क्यों नहीं मिल सकता है ?
जो मांगने पर ही मिल सके उसे मैं हक़ कैसे मान सकता हूँ ?
मांगने की कीमत पर मुझे अपना कथित हक़ भी नहीं चाहिए .
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