Thursday, May 3, 2012

क्या यह स्वाभाविक न्याय नहीं , क्या यह न्याय करने की प्रचलित विधि नहीं , क्या यह सर्व स्वीकार्य प्रक्रिया नहीं है क़ि

 क्या यह स्वाभाविक न्याय नहीं , क्या यह न्याय करने की प्रचलित विधि नहीं , क्या यह सर्व स्वीकार्य प्रक्रिया नहीं है क़ि किसी भी अंतिम निर्णय पर पहुँचने के पहिले , किसी को अपराधी करार देने से पहिले और दण्डित करने से पहिले उसकी बात भी सुनी जाए और समस्त तथ्यों पर गंभीरता पूर्वक विचार किया जाये , कानूनी पहलू से , मानवीय पहलू से और परिस्थिति जन्य स्थिति पर विचार करते हुए .

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