Monday, May 21, 2012

जीवन को दिशा कैसे मिले ?


जीवन को दिशा कैसे मिले ?

अबोध बालक यह नहीं जानता है क़ि उसे क्या करना चाहिए ,वह तो बस अपने चारों ओर चल रही अंधी दौड़ में आँख बंद करके शामिल हो जाता है .
अमूमन उन बालकों के अभिभावक भी निर्णय नहीं कर पाते हें क़ि उन्हें कौनसी दौड़ में शामिल होना है और इसलिए वे भी बालकों को सही मार्गदर्शन नहीं दे पाते हें .
जिन लोगों ने कथित तौर पर दुनिया को मार्गदर्शन देने का जिम्मा ले रखा है उनमें भी अधिकतम लोग स्वयं भटके हुए हें , या तो वे स्वयं भी सत्य को जानते नहीं हें और या फिर स्वार्थ और लोभ के वशीभूत होने के कारण  सच्चा मार्गदर्शन नहीं कर पाते हें .
परिस्थिति तो ऐसी ही है तो क्या हम अपने कोमल मति बालकों को बहते प्रवाह में भाग्य भरोसे ही छोड़ दें ?
नहीं ऐसा तो नहीं किया जा सकता , न ही किया जाना चाहिए .
तब क्या किया जाए ?
यह काम हमें समाज के स्तर पर करना होगा .
समाज  के वे प्रबुद्ध लोग जो सक्षम हें (बुद्धी , विवेक , शिक्षा आदि में ) वे समाज के लिए दिशा का निर्धारण करें और फिर सक्षम शिक्षक  इसे क्रियान्वित करें .

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