Tuesday, June 12, 2012

----परवशता त्याग दे , तेरी विवशता ख़त्म हो जायेगी , विवशता की अनन्त श्रंखला से तेरा सम्बन्ध टूट जाएगा , तू स्वतंत्र हो जाएगा और तेरा आचरण सम्यक हो जाएगा .------


हम अपने अपराध दूसरों के सर डालने के आदी हें पर यह सही और उचित नहीं है - 

अगर तुझे अपने अनुचित आचरण का कारण पर में दिखाई देता है तो उस पर दोषारोपण करने से पूर्व यह विचार तो कर क़ि उस "अन्य" के अनुचित आचरण के भी तो कुछ "अन्य" नियामक कारण रहे होगे . 
इस तरह अन्यों का तो यह अनन्त सिलसिला है .
यदि तू विवश है तो क्या वह नहीं हो सकता ? 
यदि विवशताओं की इस परम्परा पर द्रष्टि डालें तो पायेंगे क़ि यह तो अनन्त है , इसमें तो परिवर्तन संभव ही नहीं है , अबभी यदि तू त्रुटिहीन उचित आचरण करना ही चाहता है तो परवशता त्याग दे , तेरी विवशता ख़त्म हो जायेगी , विवशता की अनन्त श्रंखला से तेरा सम्बन्ध टूट जाएगा , तू स्वतंत्र हो जाएगा और तेरा आचरण सम्यक हो जाएगा .

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