Tuesday, June 12, 2012

अरे ! यह पराधीन वृत्ति छोड़ दे , यह गुलाम मार्ग है -


अरे ! यह पराधीन वृत्ति छोड़ दे , यह गुलाम मार्ग है -
यदि मैं अपनी राह पर चल पड़ता हूँ तो सभी संयोग मेरे लिए अनुकूल निमित्त कहलाने लगते हें और यदि मैं ठिठक जाता हूँ , ठहर जाता हूँ तो वे ही सब प्रतिकूल निमित्त कहलाने लगते हें .

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