Thursday, July 5, 2012

तू स्वयं घंटों बनता संवरता है और फिर खुश होता है या व्यर्थ ही निराश हो जाता है . सच मानिए सिर्फ आपको ही फर्क पड़ता है किसी और को इस सब से कोई फर्क नहीं पड़ता है .-------- -------यदि उसी समय और श्रम को , अपने उसी ध्यान को तू कहीं और लगाता तो क्या कल्याण नहीं हो जाता ?

तू स्वयं घंटों बनता संवरता है और फिर खुश होता है या व्यर्थ ही निराश हो जाता है .
सच मानिए सिर्फ आपको ही फर्क पड़ता है किसी और को इस सब से कोई फर्क नहीं पड़ता है .--------
-------यदि उसी समय और श्रम को , अपने उसी ध्यान को तू कहीं और लगाता तो क्या कल्याण नहीं हो जाता ?
pls click on link bellow ( blue letters ) to read full - 
http://www.facebook.com/pages/Parmatmprakash-Bharill/273760269317272

No comments:

Post a Comment