दुनिया में कोई किसी को दुखी या सुखी नहीं करता है , हम सभी लोग अपने ही गलत सोच से दुखी होते हें और सोच में परिवर्तन करने मात्र से सुखी हो सकते हें -
एक ही हालात में एक व्यक्ति अत्यंत सुखी रहता है और दूसरा अत्यंत दुखी , ऐसा कैसे होता है ?
दूंदने की द्रष्टि चाहिए , जिसे जो चाहिए वह सब मिल जाता है .
एक ही वस्तु में अनेकतायें मिल जाती हें .
एक ही वस्तु में एक व्यक्ति को गिलास दूध से "आधा भरा हुआ" दिख जाता है और दूसरे को वही गिलास "आधा खाली" भी दिख जाता है .
पहिला व्यक्ति आधे भरे गिलास के बखान करते नहीं थकता है और दूसरे का आधे खाली गिलास के लिए क्रन्दन नहीं रुकता .
जिसका भाग्य अच्छा है उसे खुशी मिल जाती है , जिसके भाग्य में रोना ही लिखा है उसे उसी में रोने का अवसर भी मिल जाता है .
दुनिया तो जो है , जैसी है वैसी ही रहेगी , उसमें परिवर्तन करना किसी के वश की बात नहीं है , कम से कम अपने हाथ में तो है ही नहीं .
तो क्या तुझे सुख नहीं चाहिए , संतुष्टी नहीं चाहिए ?
यदि हाँ ; तो अपनी द्रष्टि को बदल दे .
तू सुखी हो जाएगा .
एक ही हालात में एक व्यक्ति अत्यंत सुखी रहता है और दूसरा अत्यंत दुखी , ऐसा कैसे होता है ?
दूंदने की द्रष्टि चाहिए , जिसे जो चाहिए वह सब मिल जाता है .
एक ही वस्तु में अनेकतायें मिल जाती हें .
एक ही वस्तु में एक व्यक्ति को गिलास दूध से "आधा भरा हुआ" दिख जाता है और दूसरे को वही गिलास "आधा खाली" भी दिख जाता है .
पहिला व्यक्ति आधे भरे गिलास के बखान करते नहीं थकता है और दूसरे का आधे खाली गिलास के लिए क्रन्दन नहीं रुकता .
जिसका भाग्य अच्छा है उसे खुशी मिल जाती है , जिसके भाग्य में रोना ही लिखा है उसे उसी में रोने का अवसर भी मिल जाता है .
दुनिया तो जो है , जैसी है वैसी ही रहेगी , उसमें परिवर्तन करना किसी के वश की बात नहीं है , कम से कम अपने हाथ में तो है ही नहीं .
तो क्या तुझे सुख नहीं चाहिए , संतुष्टी नहीं चाहिए ?
यदि हाँ ; तो अपनी द्रष्टि को बदल दे .
तू सुखी हो जाएगा .
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