किन्हीं दो व्यक्तियों के बीच स्थापित व्यवहार दोनों की आशाओं या आकांक्षाओं के अनुरूप नहीं होता वल्कि यह वह युद्ध विराम रेखा होती है जो क़ि एक लम्बे संघर्ष के बाद खींची जा सकी है .
प्रारम्भ में दोनों की ही अपेक्षाएं अपने अपने पक्ष में बहुत ज्यादा बड़ी-चड़ी हुआ करतीं हें और दोनों ही अपने प्रति एक दूसरे के व्यवहार से असंतुष्ट ही बने रहते हें , असंतोष की अभिव्यक्ति होने पर प्रारम्भ होती है रस्साकसी . दोनों ही पक्ष उक्त संतुलन को अपने पक्ष में स्थापित करने की कोशिश करते हें और इस प्रक्रिया में दोनों ही पक्षों की ओर से अपनी-अपनी असहमति जताने का क्रम भी जारी रहता है .
अंतत: एक अवस्था ऐसी आती है क़ि असंतुलन भी कम होता जाता है और असंतोष भी और यह़ी आकर दोनों के बीच एक व्यवहार स्थापित हो जाता है जिसमें असंतोष कमसे कम होता ,ठीक उसी प्रकार जैसे युद्धविराम रेखा पर कभी - कभी आपसी झडपों की छिटपुट घटनाएं होती रहती हें .
प्रारम्भ में दोनों की ही अपेक्षाएं अपने अपने पक्ष में बहुत ज्यादा बड़ी-चड़ी हुआ करतीं हें और दोनों ही अपने प्रति एक दूसरे के व्यवहार से असंतुष्ट ही बने रहते हें , असंतोष की अभिव्यक्ति होने पर प्रारम्भ होती है रस्साकसी . दोनों ही पक्ष उक्त संतुलन को अपने पक्ष में स्थापित करने की कोशिश करते हें और इस प्रक्रिया में दोनों ही पक्षों की ओर से अपनी-अपनी असहमति जताने का क्रम भी जारी रहता है .
अंतत: एक अवस्था ऐसी आती है क़ि असंतुलन भी कम होता जाता है और असंतोष भी और यह़ी आकर दोनों के बीच एक व्यवहार स्थापित हो जाता है जिसमें असंतोष कमसे कम होता ,ठीक उसी प्रकार जैसे युद्धविराम रेखा पर कभी - कभी आपसी झडपों की छिटपुट घटनाएं होती रहती हें .
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