अरे आज ज़मीन पर पडा है
कल सर चढ़ जाएगा
आज का ये पत्थर
कल तेरा भगवान बन जाएगा
- एक साधारण सा आदमी आपके घर आता है , आपके सामने हाथ जोड़ता है , आपके पाँव छूता है और आपका वोट माँगता है .
आप अभीभूत हो जाते हें और उसे वोट दे देते हें , वह चुनकर आ जाता है और आपका भाग्य विधाता बन जाता है , कल जो पाँव छु रहा था अब सर पर बैठ जाता है .
- एक पत्थर ज़मीन में गडा बर्षों से सबके पांवों की ठोकरें खा रहा था , एक शिल्पी की निगाह उस पर पड़ गई ,उसने उसे खोदकर निकाल लिया और उसे तराश कर उससे भगवान की मूर्ती बना डाली .
अब वह पत्थर सबके सर पर चड़ता है , पूजा जाता है .
- हमें विवेक पूर्वक यह निर्णय करना चाहिए क़ि हम किसे अपना भगवान बनाएं , भाग्य विधाता बनाएं , वरना हम ही बाद में पछतायेंगे .
-1981 में लिखी एक छोटी सी रचना .
राहों पै इनकी
सुमनों के कालीन न बिछाओ
आबाज पै इनकी
अपना खून पसीना न बहाओ
पैरों पै अपने
कुल्हाड़ी न गिराओ शिल्पी
पत्थर ही रहने दो
इन्हें भगवान न बनाओ
अरे आज ज़मीन पर पडा है
कल सर चढ़ जाएगा
आज का ये पत्थर
कल तेरा भगवान बन जाएगा
कल सर चढ़ जाएगा
आज का ये पत्थर
कल तेरा भगवान बन जाएगा
- एक साधारण सा आदमी आपके घर आता है , आपके सामने हाथ जोड़ता है , आपके पाँव छूता है और आपका वोट माँगता है .
आप अभीभूत हो जाते हें और उसे वोट दे देते हें , वह चुनकर आ जाता है और आपका भाग्य विधाता बन जाता है , कल जो पाँव छु रहा था अब सर पर बैठ जाता है .
- एक पत्थर ज़मीन में गडा बर्षों से सबके पांवों की ठोकरें खा रहा था , एक शिल्पी की निगाह उस पर पड़ गई ,उसने उसे खोदकर निकाल लिया और उसे तराश कर उससे भगवान की मूर्ती बना डाली .
अब वह पत्थर सबके सर पर चड़ता है , पूजा जाता है .
- हमें विवेक पूर्वक यह निर्णय करना चाहिए क़ि हम किसे अपना भगवान बनाएं , भाग्य विधाता बनाएं , वरना हम ही बाद में पछतायेंगे .
-1981 में लिखी एक छोटी सी रचना .
राहों पै इनकी
सुमनों के कालीन न बिछाओ
आबाज पै इनकी
अपना खून पसीना न बहाओ
पैरों पै अपने
कुल्हाड़ी न गिराओ शिल्पी
पत्थर ही रहने दो
इन्हें भगवान न बनाओ
अरे आज ज़मीन पर पडा है
कल सर चढ़ जाएगा
आज का ये पत्थर
कल तेरा भगवान बन जाएगा
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