Saturday, September 29, 2012

मुझे इस संसार में सुख से रहना है , कैसे संभव है -

मुझे इस संसार में सुख से रहना है , कैसे संभव है -

- सुखी मुझे होना है तो सुख की कीमत मुझे ही चुकानी होगी .
- पर में परिवर्तन संभव नहीं है इसलिए जो हो रहा है उसे स्वीकार करना होगा .
- अपनी बुनियादी जरूरतों के लिए आत्मनिर्भर रहना जरूरी है , पर पर निर्भरता आकुलता की जनक है .
- अन्य लोग भी आपसे आशाएं और अपेक्षाएं रखते हें ,जो पूरी न होने पर आपको परेशान करते हें , लोगों को झूंठी आशाएं न बंधाएं .
- संसार की हर दौड़ अनन्त और व्यर्थ है , किसी दौड़ में शामिल न हों , अपने में ही सीमित रहना श्रेष्ठ है .

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