यदि हम घर की सफाई करने या स्नान करने या श्रृंगार करने या भोजन करने में व्यस्त हें तो हमें अत्यंत सावधानी पूर्वक यह तय करने की आवश्यकता है क़ि हम इन कामों के पीछे कितना समय दे सकते हें क्योंकि हम बहुत अच्छी तरह से यह जानते हें क़ि अभी कुछ समय बाद हमें यह़ी सब फिर से करना होगा और अभी किये गए कामों की उपयोगिता सिर्फ तब तक के लिए ही है .
सत्य तो यह है क़ि यदि अभी हम यह सब न भी करें और सीधे तभी करें जब दूसरी ब़ार यह सब करने की जरूरत पड़ने बाली है , तब भी कोई फर्क ही नहीं पडेगा , परिणाम वही रहेगा .
ऐसे काम जिनके करने या न करने से कुछ फर्क ही नहीं पड़ता है , आखिर उनके पीछे कितना समय बर्बाद किया जा सकता है ?
क्यों नहीं हम ऐसे कामों की सूचि छोटी करते जाएँ ?
बचे समय का उपयोग हम उन कामों के लिए कर सकते हें जिनका दूरगामी महत्त्व है , प्रभाव है .
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