अनुभव चेतावनी देता है पर यौवन मानता नहीं है , रुकता नहीं है , अपने मन की कर ही गुजरता है , होता वही है जिसके बारे में चेताया गया था , क्यों न होता ? आखिर अनुभव सिद्ध बात थी , शुभचिंतकों ने कही थी , पर उनका कर गुजरना भी अनुचित नहीं कहा जा सकता , जो चेताये न वह अनुभव कैसा और जो थम जाए वो यौवन कैसा -
ठहरो ! रुको ! मत बढ़ो आगे , सबने कहा पर ना सुना
जो बन पड़ा वह सब किया , कर चेतावनी को अनसुना
आज प्रतिफल सामने है , वे भी सही थे , मैं भी सही
तब उचित था मेरा करम , आज का सच , उनकी कही
ठहरो ! रुको ! मत बढ़ो आगे , सबने कहा पर ना सुना
जो बन पड़ा वह सब किया , कर चेतावनी को अनसुना
आज प्रतिफल सामने है , वे भी सही थे , मैं भी सही
तब उचित था मेरा करम , आज का सच , उनकी कही
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