बस यही राज है मेरी इस नीति का कि न तो मैं इस बात की परवाह करता हूँ कि कौन मेरे बारे में किससे क्या कहता है , और न ही मैं किसी को अपनी सफाई देता हूँ . यह सब काम मेरा चरित्र , व्यक्तित्व और व्यवहार करता है .
यदि मैं भी यही सब करने लगूं तो फिर मैं भी उसीके जैसा हो गया न ?
फिर क्या फर्क रहा उसमें और मुझमें ?
आखिर मैं किसी का अनुकरण कर्ता (follower) क्यों बनूँ ? और वह भी इन जैसों का ?
मुझे उनसे न तो शिकायत ही है और न कोई सारोकार , मुझे नहीं जानना है कि उन्होंने आपसे मेरे बारे में क्या कहा .
बे तो कहेंगे .
उन्होंने तो इसे अपना ध्येय बनाया है न !
उन्हें तो इससे अपने प्रयोजन की सिद्धी करनी है .
बे यह काम व्यर्थ ही नहीं कर रहे हें
शिकायत तो मुझे आपसे है कि उन्होंने जो कहा आपने बिना मुझसे कन्फर्म किये ही उसे सत्य कैसे मान लिया ?
आप तो मुझे जानते हें न ?
आप यह भी जानते हें कि मैं कैसा हूँ ,क्या कर सकता हूँ और क्या नहीं कर सकता हूँ
मेरे बारे में आपका निर्णय या तो जीवन भर की आपकी अपनी रीडिंग के आधार पर होना चाहिए या फिर आपको बे बातें मुझसे कन्फर्म कर लेनी चाहिए थीं जो उसने मेरे बारे में आपस कहीं .
आपने ऐसा नहीं किया तब आपका यह कदम न तो समझदारी भरा है और न ही सद्भावना पूर्ण .
यदि ऐसा ही है तब फिर आप मेरे लिए विशिष्ट कहाँ रहे ?
अब तो आप भी एनी अनंत लोगों के सामान ही उनमें से ही एक हो गए जिन्हें मुझसे कोई सारोकार नहीं .
अब यदि ऐसा है तो फिर मैं भी आपकी परवाह क्यों करूं ?
बस यही राज है मेरी इस नीति का कि न तो मैं इस बात की परवाह करता हूँ कि कौन मेरे बारे में किससे क्या कहता है , और न ही मैं किसी को अपनी सफाई देता हूँ . यह सब काम मेरा चरित्र , व्यक्तित्व और व्यवहार करता है .
यदि मैं भी यही सब करने लगूं तो फिर मैं भी उसीके जैसा हो गया न ?
फिर क्या फर्क रहा उसमें और मुझमें ?
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