Saturday, June 15, 2013

ओ देश और समाज के लोगों , सुनलो ! कहीं कोई गलत मिसाल न कायम हो जाए !

यदि भूले भटके कोई प्राणी समाज सेवा के काम में लग ही गया है तो यह तुम्हारी जिम्मेबारी है कि वह असफल न हो जाबे , उसे कष्ट न उठाने पड़ें , यदि ऐसा हुआ तो समाज सेवा की परम्परा ही बंद हो जायेगी !

ओ देश और समाज के लोगों , सुनलो !
कहीं कोई गलत मिसाल न कायम हो जाए !
यदि भूले भटके कोई प्राणी समाज सेवा के काम में लग ही गया है तो यह तुम्हारी जिम्मेबारी है कि वह असफल न हो जाबे , उसे कष्ट न उठाने पड़ें , यदि ऐसा हुआ तो समाज सेवा की परम्परा ही बंद हो जायेगी !
उसे देखकर सब एक स्वर से कहेंगे - " देखा न ! हमने तो पहिले ही कहा था, अब भुगतो ! "
यह सब देख-सुनकर न सिर्फ उसका मोरल डाउन होगा वल्कि अन्य देखने सुनने वाले भी यह कभी न करने का सबक सीखेंगे .
क्या आपने देखा नहीं कि यदि कोई धर्मात्मा या भक्त व्यक्ति संकट में पड़ता है तो लोग क्या कहते हें ?
यही न ? कि देखो उस धर्मात्मा की हालत ! भगवान् की भक्ति का क्या फल मिला ?
निजी स्वार्थों से ऊपर उठकर किसी भी प्रकार का परोपकार या समाज सेवा का काम करना किसी साधारण व्यक्ति के वश की बात नहीं है , यह महान पुरुषार्थी और साहसी व्यक्ति के बूते की ही बात है .
सामान्य लोग स्वयं तो इन कामों में लगते ही नहीं हें पर ऐसे काम करने वाले अन्य लोगों का जबरदस्त प्रतिरोध भी करते हें ,उसे किसी अन्य गृह से आया हुआ प्राणी ही मानते हें ,  वे उसे भोला कहते और मूर्ख मानते हें .हर स्तर पर .ऐसे काम करने वाले लोगों को सर्वप्रथम तो ऐसे ही लोगों से जूझना होता है , उसके बाद भी यदि समय और शक्ति शेष रहे तब ही कुछ भी किया जा सकता है . यदि इन सब अबरोधों को पार करके कोई इस काम में लग ही गया है तो अब यह हम सबकी ड्यूटी है की उसे सफल , यशस्वी और सुखी बनाएं .

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