अपने मन को टटोल कर देख लेना , मुझे गलत साबित नहीं कर पायेंगे .
क्या कभी तूने अपने मनोभावों का विश्लेषण किया कि तू किस पर रींझ रहा है ?
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
जब कोई मधुर स्वरों में भगवान् की भक्ति करता है और तू भाव विभोर हो जाता है तब क्या कभी तूने अपने मनोभावों का विश्लेषण किया कि तू किस पर रींझ रहा है ?
क्या कभी तूने अपने मनोभावों का विश्लेषण किया कि तू किस पर रींझ रहा है ?
- परमात्म प्रकाश भारिल्ल
जब कोई मधुर स्वरों में भगवान् की भक्ति करता है और तू भाव विभोर हो जाता है तब क्या कभी तूने अपने मनोभावों का विश्लेषण किया कि तू किस पर रींझ रहा है ?
तू भगवान् के गुणों पर रींझ रहा है या ललित काव्य पर और या मधुर स्वरों पर .
मैं सच कहूं तो ९० प्रतिशत लोग मधुर स्वरों पर रींझ रहे होते हें और शेष १० % लोग ललित काव्य पर .
भगवान् के गुणों पर कोई नहीं रींझ रहा होता है .
अपने मन को टटोल कर देख लेना , मुझे गलत साबित नहीं कर पायेंगे .
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