भ्रष्टाचार : दोषी कौन ? (कौन-कौन)
बेशक बीज उन्होंने बोये , पर पाला हमने भ्रष्टाचार को
खुद हम भी तो दोषी हें,फिर क्यों दोष सिर्फ सरकार को
मेरा चिंतन मात्र कहने-सुनने के लिए नहीं, आचरण के लिए, व्यवहार के लिए है और आदर्श भी. आदर्शों युक्त जीवन ही जीवन की सम्पूर्णता और सफलता है, स्व और पर के कल्याण के लिए. हाँ यह संभव है ! और मात्र यही करने योग्य है. यदि आदर्श को हम व्यवहार में नहीं लायेंगे तो हम आदर्श अवस्था प्राप्त कैसे करेंगे ? लोग गलत समझते हें जो कुछ कहा-सुना जाता है वह करना संभव नहीं, और जो किया जाता है वह कहने-सुनने लायक नहीं होता है. इस प्रकार लोग आधा-अधूरा जीवन जीते रहते हें, कभी भी पूर्णता को प्राप्त नहीं होते हें.
Yathaa Rajaa Tathaa Prajaa
ReplyDeleteदोष कौन दे सकता इन्हें, जो प्रकृति ने ऐसा बनाया,
दिन बनायीं तो साथ में ,रात को भी बनाया;
हम तो कह रहे है कि सुधिजन रात को पहचान लो.
दिन को रात औ रात को दिन कहने की, लत जान लो!