Wednesday, November 2, 2011

यदि आप मानते हें क़ि आपका ही मार्ग सही है और चाहते हें क़ि आपकी ही परमपरा चले तो हर स्थिति का सामना अपने तरीके से ही कीजिये . अपने विरोधी के फोलोवर मत बनिए .

लोग कहते हें क़ि-
" जैसे को तैसा "

मेरा कहना है क़ि नहीं , ऐसा नहीं होना चाहिए .
यदि आपने वैसा ही किया तो आप भी उस जैसे हो गए , तब आपकी परम्परा का क्या होगा , आपके आदर्श का क्या होगा ?
आपने उसके जैसा किया फिर वह दुबारा आपकी इस करतूत का जबाब उसी तरह से देगा तो यह़ी परम्परा चल निकलेगी .
आपने उसकी बदी का जबाब बदी से दिया और फिर उसने पलट्बार किया तो बदी की ही परम्परा तो चल पड़ेगी ना ?
तब दोनों ही एक मार्ग पर चल पड़ेंगे .
तब कैसे पता चलेगा क़ि सही मार्ग क्या है और गलती की शुरुवात किसने की , कहाँ से हुई ?

यदि आप मानते हें क़ि आपका ही मार्ग सही है और चाहते हें क़ि आपकी ही परमपरा चले तो हर स्थिति का सामना अपने तरीके से ही कीजिये .
अपने विरोधी के फोलोवर मत बनिए .

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