Sunday, November 6, 2011

इस दुनिया में कितनी सारी हें , कदम कदम पर कितनी राहें , भटका करते जीवन भर , पर एक नहीं हम पा पायें


जीवन तो हमें खैरात में मिल गया है , 
हम न तो जीवन के मायने जानते हें और न ही उसका महत्त्व समझते हें , 
हम नहीं जानते क़ि हमें इस जीवन में करना क्या है ?
हम तो बस यूं ही बधाबास से यहाँ से बहां दौड़ते हुए जीवन खो देते हें 



मैं खड़ा एक चौराहे पर , 
सारी दुनिया दौड़ रही 
पर मुझको मालूम नहीं 
मुझको जाना है किधर ,

स्थिति से घबराकर ,
एक राह पर चल पड़ता हूँ , 
कुछ ही क़दमों में जा पहुंचूं,
फिर एक नए चौराहे पर ,

इस दुनिया में कितनी सारी हें 
कदम कदम पर कितनी राहें 
भटका करते जीवन भर  
पर एक नहीं हम पा पायें 

दौड़ा करते जीवन भर  
पर पहुच न पायें अपने घर 
जीवन में राह जो  ना पाते 
बे मर जाते बस राहों पर 

No comments:

Post a Comment