जीवन तो हमें खैरात में मिल गया है ,
हम न तो जीवन के मायने जानते हें और न ही उसका महत्त्व समझते हें ,
हम नहीं जानते क़ि हमें इस जीवन में करना क्या है ?
हम तो बस यूं ही बधाबास से यहाँ से बहां दौड़ते हुए जीवन खो देते हें
मैं खड़ा एक चौराहे पर ,
सारी दुनिया दौड़ रही
पर मुझको मालूम नहीं
मुझको जाना है किधर ,
स्थिति से घबराकर ,
एक राह पर चल पड़ता हूँ ,
कुछ ही क़दमों में जा पहुंचूं,
फिर एक नए चौराहे पर ,
इस दुनिया में कितनी सारी हें
कदम कदम पर कितनी राहें
भटका करते जीवन भर
पर एक नहीं हम पा पायें
दौड़ा करते जीवन भर
पर पहुच न पायें अपने घर
जीवन में राह जो ना पाते
बे मर जाते बस राहों पर
No comments:
Post a Comment