Tuesday, November 29, 2011

यथार्थ (सत्य) के प्रति हमारे गैर समझ ही हमारे कष्टों का मूल कारण है और हम सच्चाई को जान और समझ कर सुखी हो सकते हें .


यथार्थ (सत्य) के प्रति हमारे गैर समझ ही हमारे कष्टों का मूल कारण है और हम सच्चाई को जान और समझ कर सुखी हो सकते हें .








जब यात्रा के दौरान हमारी फ्लाईट या ट्रेन लेट हो जाती है तो हम बहुत अच्छी तरह जानते हें क़ि हमारे हाथ में कुछ भी नहीं है और हम कुछ भी नहीं कर सकते हें , तब हम जानते हें क़ि आकुलता करने से कोई फायदा नहीं है और हम शांति से सब कुछ देखते रहते हें .
यदि हमारा यह़ी द्रष्टिकोण जीवन की अन्य सभी घटनाओं के प्रति भी हो जाये ,हम जीवन में भी सुखी और आकुलता रहित हो सकते हें .
यह एक स्थापित तथ्य है क़ि क़ि यथार्थ (सत्य) के प्रति हमारे गैर समझ ही हमारे कष्टों का मूल कारण है और हम सच्चाई को जान और समझ कर सुखी हो सकते हें .
कुछ करने की आवश्यकता नहीं सिर्फ समझ की जरूरत है .

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