Thursday, November 24, 2011

यूं तो हमारे पास मरने की भी फुर्सत नहीं होती है ,फिर भी हम मर तो जाते ही हें न ?


यूं तो हमारे पास मरने की भी फुर्सत नहीं होती है ,फिर भी हम मर तो जाते ही हें न ?

(हम मौत पर कृपा नहीं करते, फुर्सत निकालने की,फिर भी वह बुरा नहीं मानती और न ही बिना बुलाये आने में संकोच करती है , शर्म महसूस करती है .)
बस इसी तरह जिसे हमारी जरूरत होती है वो न तो हमारी चाहत का इंतजार करता है और न ही हमारी फुर्सत का ,वह तो हमारा उपयोग कर ही लेता है , हमारे चाहे या अनचाहे .
वस एक हम स्वयं ही रह जाते हें उपेक्षित, हमें सिर्फ अपने लिए समय नहीं मिलता है .
अब हमें स्वयं के लिए समय जुटाने के लिए संघर्ष करना होगा , अपने आप से और उनसे जो अपना समय लूटने खसोटने के लिए सदा ही तत्पर रहते हें .

-परमात्म प्रकाश भारिल्ल

1 comment:

  1. शत प्रतिशत सत्य फिर भी हम लोभ,मोह,भ्रष्टाचारी में लिप्त हैं

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