Saturday, November 5, 2011

Parmatm Prakash Bharill: भूल होना अफ़सोस जनक है और भूल होते रहना शर्मनाक.

Parmatm Prakash Bharill: भूल होना अफ़सोस जनक है और भूल होते रहना शर्मनाक.: भूल निकलने में शर्म कैसी ? भूल निकलने में शर्म कैसी ? शर्म तो भूल बनी रहने में होती. भूल निकली तो निकल ही तो गई , हम निर्भूल हो गए . बशर्...

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