अरे भाई ! तेरे पेट में आग लगती है (जठराग्नि या भूंख) तो तुरंत सक्रिय होकर भोजन करने लगता है .
पूँछ में आग लगती है (strong desire ) तो पैसा कमाने को दौड़ता है दिन-रात .
और यदि घर में आग लगती है तो घर छोड़कर भाग खड़ा होता है .
ऐसे किसी भी मौके पर कभी इंतजार नहीं करता है क़ि कोई आएगा और मेरी मदद करेगा .
तब जब भव भ्रमण की बात आती है तो क्यों भगवान भरोसे बैठ जाता है क़ि वो आएगा और मुझे इस भव सागर से पर उतारेगा.
अरे जो खाना खिलने को नहीं आता , पैसा कमाने में साथ नहीं निभाता या आग में जलने से नहीं बचाता है वह यहाँ किस काम आएगा भला ?
एक बात और ,
छोड़ो बात वो आएगा या नहीं आएगा ,
पर तू एक काम क्यों नहीं करता है ?
जैसे तूने इन तीनों अवसरों पा र्किसी के आने का इंतजार नहीं किया और खुद ही काम पर लग गया ,
ऐसा ही तू इस मामले में क्यों नहीं करता है ?
सच तो यह है
क़ि
भूंख तुझे वेचैन करती है
धन तुझे लुभाता है
और आग तुझे जलाती है
इसलिए तूं स्वयं दौड़ता है
पर
यह भव भ्रमण तुझे परेशान ही नहीं करता है .
इसके बारे में तेरी कोई राय ही नहीं है .
तूने कभी विचार ही नहीं किया है .
अरे भाई !
यदि अभी नहीं तो कब करेगा ये ?
कुछ तो विचार कर ?
यदि तू नहीं करेगा तो तेरे लिए यह कौन करेगा ?
अरे भूंख लगेगी तो माँ या पत्नी भोजन करबा देगी ,अन्यथा कोई समाज सेवक ही यह काम करके पुन्य बटोर लेगा .
रोजगार के लिए तो सभी पीछे पड़ेंगे , सभी उपदेश भी देंगे और आदेश भी .
पुचकारेंगे भी और धमकाएंगे भी
पर वेरोजगार कोई न रहने देगा .
आग से बचने को भी कई लोग दौड़े चले आयेंगे , अपनी जान जोखम में डालकर भी .
पर इसके लिए कौन आएगा ?
इससे तो विमुख करने बाले ही मिलेंगे .
चाहे माता-पिता या भाई बहिन हों या फिर मित्र और हितैषी लोग .
सभी विमुख ही करने का प्रयास करेंगे .
इसलिए मेरे भाई !
यह काम तो तुझे स्वयं ही करना होगा ,
और वह भी विल्कुल अकेले ही
फिर देर किस बातकी ?
अब सही समय आगया है .
क्योंकि तुझे यह बात समझ में आगई है ?
फिर अब किसका इंतजार है ?
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल
No comments:
Post a Comment