Wednesday, December 14, 2011

देखो तो इसके रूप कितने , जिन्दगी दिखला रही


फिसलन भरी है जिन्दगी 

फिसलती जा रही 

देखो तो इसके रूप कितने 

जिन्दगी दिखला रही 

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