एक common man के ऊपर कितने कठोर क़ानून लागू हें और रोज - रोज नए नए क़ानून आनन् फानन में संसद में पास हो जाते हें .
एक सामान्य नागरिक के ऊपर कितने थानेदार बैठे हें , कितने इन्स्पेटर बैठे हें , वह कदम कदम पर डराया , धमकाया और लूटा जाता है .
अब यदि एक शिकंजा उन लोगों के ऊपर कसने की मांग की जा रही जो पूरे प्रशासन तंत्र में कहीं न कहीं बैठे हें, उसके हिस्सा हें , तो कितनी तकलीफ हो रही है हमारी अपनी इस संसद को .
एक सामान्य नागरिक के ऊपर कितने थानेदार बैठे हें , कितने इन्स्पेटर बैठे हें , वह कदम कदम पर डराया , धमकाया और लूटा जाता है .
अब यदि एक शिकंजा उन लोगों के ऊपर कसने की मांग की जा रही जो पूरे प्रशासन तंत्र में कहीं न कहीं बैठे हें, उसके हिस्सा हें , तो कितनी तकलीफ हो रही है हमारी अपनी इस संसद को .
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