यदि कोई कहे क़ि भोजन स्वादिष्ट नहीं है ,तो बनाने बाला उए अपनी निंदा समझकर उससे द्वेष करता है या यह मानता है क़ि ऐसा कहने बाला उसे पसंद नहीं करता है , पर ऐसा होता नहीं है , वह तो सिर्फ सच्चाई बतला रहा है , इसमें निंदा या द्वेष कहाँ है ?
क्या मिर्च को चरपरा कहना मिर्च की निंदा है ?
यह तो हकीकत का बयाँ है
"बदसूरत हमने तुम्हें
बनाया कहाँ है "
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