Wednesday, December 14, 2011

बीत जाते साल , महीने कट रहे हें मिनिट पल , ना मान लेना आयेगा ही जिदगी में , इक और कल

सो रहे हो ?
जागो !
वो लुट रही है जिन्दगी ,

प्रत्येक पल 
इक एक क्षण
गिन रही है जिदगी

मत ठहरना
सांस लेने
जिन्दगी रुकती नहीं

व्यर्थ बीतीं जो भी घड़ियाँ
बापिस कभी मिलतीं नहीं

तुम चले जो यूं पकाने
बीरबल की खिचड़ीयां
इतना समझलो दाल यूं
किसी की गलती नहीं

कल नहीं
तुम आज अबही
शेष जो हें ,काम करलो
यह जिन्दगी की बेरुखी
राह वह ताकती नहीं

बीत जाते साल , महीने
कट रहे हें मिनिट पल
ना मान लेना आयेगा ही
जिदगी में , इक और कल

कल तुझे जो भी है करना
क्यों नहीं तू आज करले
फिर भले ही मौत आये
बेफिक्र हो तू वरण करले

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