वह सर्वशक्तिमान जिसने इस जगत की रचना की और जो इसका संचालन करता है वह सर्वज्ञ तो होगा ही न ?
यदि नहीं होगा तो यह सब करेगा कैसे ?
अब यदि सर्वज्ञ है तो अनन्त भविष्य को भी जानता होगा !
न सही अनन्त भविष्य , १००-५० बर्ष की बातें तो जानता ही होगा न ?
अब यदि वह जान ही चुका है क़ि क्या होने वाला है तब वह आपकी प्रार्थना , मन्नत , भक्ति या तपस्या से प्रभावित होकर बदल कैसे सकता है ?
यदि बदल देगा तो उसका ज्ञान झूंठा हो जाएगा क्योंकि उसने जैसा पहिले जाना था वह नहीं हुआ .
यदि नहीं बदल सकता तो फिर वह कैसा सर्वशक्तिमान जो कुछ भी नहीं कर सकता .
इसलिए इस जगत में परिवर्तन का विचार छोड़ दे और निराकुल हो जा , जो हो रहा है बस उसका ज्ञाता द्रष्टा बन जा , वस यह़ी तेरे या किसी के भी बस की बात है ,इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं .
जो है , जो होता है , जो हो चुका है , जो हो रहा है , जो होयेगा उसे स्वीकार कर .
इसी में सबका कल्याण है .
यदि नहीं होगा तो यह सब करेगा कैसे ?
अब यदि सर्वज्ञ है तो अनन्त भविष्य को भी जानता होगा !
न सही अनन्त भविष्य , १००-५० बर्ष की बातें तो जानता ही होगा न ?
अब यदि वह जान ही चुका है क़ि क्या होने वाला है तब वह आपकी प्रार्थना , मन्नत , भक्ति या तपस्या से प्रभावित होकर बदल कैसे सकता है ?
यदि बदल देगा तो उसका ज्ञान झूंठा हो जाएगा क्योंकि उसने जैसा पहिले जाना था वह नहीं हुआ .
यदि नहीं बदल सकता तो फिर वह कैसा सर्वशक्तिमान जो कुछ भी नहीं कर सकता .
इसलिए इस जगत में परिवर्तन का विचार छोड़ दे और निराकुल हो जा , जो हो रहा है बस उसका ज्ञाता द्रष्टा बन जा , वस यह़ी तेरे या किसी के भी बस की बात है ,इसके अतिरिक्त और कुछ नहीं .
जो है , जो होता है , जो हो चुका है , जो हो रहा है , जो होयेगा उसे स्वीकार कर .
इसी में सबका कल्याण है .
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