हम बड़ी शान से कहते हें क़ि हम तो नास्तिक हें
किसने देखा आत्मा - परमात्मा
अरे भाई ! तू देख ले न
क्या तू वही सब करता है जो और सब करते हें ?
क्या तुझे औरों जैसा ही बने रहना है ?
न तो आत्मा दिखाई देता है और न ही परमात्मा
दिखाई भले न दे , पर वह है .
तू स्वयं आत्मा है और आत्मा ही परमात्मा है .
जगत में जो कुछ है वह सब दिखाई नहीं देता है पर जो दिखाई नहीं देता है वह भी है , उसका भी अस्तित्व है यह सिद्ध है .
क्या तू आत्मा के अस्तित्व को नकार देगा तो आत्मा न रहेगा ? तू न रहेगा ?
आत्मा तो रहेगा पर पामर बनकर संसार में ही भटकता रहेगा .
यदि तू उसे पहिचान लेगा , अपने को पहिचान लेगा तो परमात्मा बन जाएगा .
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