Friday, March 16, 2012

जीवन एकदम अनिश्चित है और मृत्यु एकदम निश्चित -------फिर चाहे "लाख बर्षों तक जीउँ या मृत्यु आज ही आ जावे "


जीवन एकदम अनिश्चित है और मृत्यु एकदम निश्चित 
क्योंकि 
यह पता नहीं क़ि जीवन कब तक रहेगा ,क्या अगले पल ही -----
पर यह निश्चित है क़ि मौत एक दिन अवश्य आयेगी ही .
परन्तु हम जीवन के प्रति एकदम आश्वस्त हें और मौत के प्रति वेपरवाह .
मौत की परवाह करने की जरूरत तो विल्कुल नहीं है पर हाँ उसके लिए तैयार रहने की जरूरत तो है न ? 
कैसी तैयारी ?
इस जीवन में हम जो काम करना चाहते हें , जिसके बगैर हम यह जीवन त्यागना नहीं चाहते हम वह काम पहिले निपटालें ताकि यदि यकायक भी मौत सामने आकर खड़ी हो जाए तो हमें यह कहने क़ि जरूरत न पड़े क़ि "एक मिनिट ठहरो "
यूं भी हमें यह कहने का मौक़ा मिलेगा नहीं . 
क्या है वह काम ?
और कुछ नहीं , और तो कोई काम तेरे वगैर रुकने वाला नहीं है .
जिस दुकान के लिए तू यह मानता है क़ि तेरे वगैर यह चलने वाली नहीं है ,वह तो अगले दिन ही खुल जायेगी , पर तेरा क्या होगा ?
यह जीवन आत्म कल्याण के लिए मिला है , पहिले वह काम करले और फिर निश्चिन्त हो जा .
फिर" चाहे लाख बर्षों तक जीउँ या मृत्यु आज ही आ जावे "

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