Saturday, March 31, 2012

हम समझते हैं हम वक्त काटते हैं पर वक्त हमें काटता जाता है


हम समझते हैं हम वक्त काटते हैं
पर वक्त हमें काटता जाता है
छोटे से इस जीवन को
पलों में बांटता जाता है
उस पल हम कुछ और थे
इस पल कुछ और हैं
उस पल के लिए ये गैर था
इसके लिए वो गैर है
इन सब में मैं कौन हूं
जान नहीं पाता हूं
मुझको मैं मिलता नहीं
और मैं मर जाता हूं
वेशक प्रतिपल मैं और और था
पर मैं मैं ही था
ना कोइ गैर था

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