Friday, June 15, 2012

यदि हमारी गतिविधियों के लिए हमें दिन छोटे पड़ते हें , दिन के २४ घंटे कम पड़ते हें तो और कोई उपाय नहीं है शिवाय इसके क़ि हम अपनी जरूरतों में कुछ कमी करें


 यह उचित नहीं क़ि हमारा " आज " आने वाले कल का भी कुछ हिस्सा छीन ले . हमें आज का दिन इस प्रकार से पूरा करना चाहिए क़ि आने वाले नए दिन की शुरुवात हम नए शिरे से कर सकें .
यदि आज रात हम देर से सो पाते हें तो इस delay को हम आज ही समाप्त करदें , अपनी नींद में कुछ कटौती करके .
यदि हम आज के delay को cf करते गए तो कुछ ही दिनों में यह हमारे अगले दिनों को ही लीलने लगेगा , तब क्या होगा ? हर नए दिन की अपने कुछ आवश्यकताएं होतीं हें और कुछ नए commitments . उन्हें टाला नहीं जा सकता , उन्हें टालना घातक होगा .
यदि हमारी गतिविधियों के लिए हमें दिन छोटे पड़ते हें , दिन के २४ घंटे कम पड़ते हें तो और कोई उपाय नहीं है शिवाय इसके क़ि हम अपनी जरूरतों में कुछ कमी करें , अपनी गतिविधियाँ कुछ कम करें . 
यदि हम कटौती नहीं करेंगे तो हम ही पिछड़ते जायेंगे , हम difaulter होंगे , क्या हमें यह मंजूर है ? difaulter होने पर हम आसानी से छूट नहीं जायेंगे , उसका कठोरे दण्ड हमें भुगतना ही होगा , क्या हम इसके लिए तैयार हें ?
हम किन गतिविधियों में कटौती करते हें यह हमारी प्राथमिकताओं पर निर्भर करता है .
हम धंधे व्यापार में कटौती करते हें या मौज शौक में यह हमें चुनना है .
मुझे लगता है क़ि कटौती मौज शौक में ही करनी होगी क्योंकि यदि हमने धंधे व्यापार में कटौती की तो परिणाम स्वरुप मौज शौक में कटौती तो यूं भी अवश्यम्भावी (unavoidable ) हो ही जायेगी .

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