Thursday, August 9, 2012

पंडित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट एवं पंडित टोडरमल सर्वोदय ट्रस्ट , जयपुर के कार्यकारी महामंत्री के रूप में मेरा नीति संबंधी वक्तव्य ------------------------दार्शनिक मान्यताएं सबका अपना व्यक्तिगत अधिकार है , इनका प्रभाव लोकोत्तर है , इनका सम्बन्ध भव के अभाव से है , इनमें दखलंदाजी करना किसी का अधिकार नहीं हो सकता है , उसमें किसी का दखल नहीं होना चाहिए , इन बिषयों में हम कभी किसी का दबाब और दखल स्वीकार नहीं करेंगे . धार्मिक परम्पराएं , उपासना पद्धति और पूजा - अर्चना की विधि सबके अपने - अपने सोच और विश्वास पर निर्भर करती हें , उनमें किसी भी स्तर पर बाहरी दबाब उचित नहीं है . इन बिषयों में न तो हम किसी पर जोर जबरदस्ती करेंगे और न ही किसी की जोर जबरदस्ती स्वीकार करेंगे , हम चाहते हें क़ि सब लोग अपने - अपने स्थानों पर प्रचलित पद्धति के अनुसार अपनी आस्था और विश्वाश के अनुरूप पूजा - उपासना के लिए स्वतंत्र रहें .--------------------

पंडित टोडरमल स्मारक ट्रस्ट एवं पंडित टोडरमल सर्वोदय ट्रस्ट , जयपुर के कार्यकारी महामंत्री के रूप में मेरा नीति संबंधी वक्तव्य -
पूज्य गुरुदेव श्री कानजी स्वामी का अभ्युदय इस कलिकाल में आत्मार्थियों के लिए किसी अदभुत वरदान से कम नहीं--------------वीतरागी देव , शास्त्र , गुरु एवं तत्वज्ञान के प्रति हमारी गहरी आस्था एवं सम्पूर्ण समर्पण है.
----------------- तथापि आलोचनाएँ भी होतीं हें , विरोध भी होता , प्रतिरोध भी होता है और अवरोध भी आते हें .
हमारी नीति रही है क़ि हम इन सब से प

्रभावित नहीं होते हें , हम रुकते नहीं , हम अटकते नहीं , हम भटकते नहीं .
-----------विवादों में न उलझना हमारी कमजोरी नहीं , हमारी शक्ति का प्रतीक है .
अपने कार्य करते रहना हमारी वीरता है और उससे विचलित नहीं होना हमारी धीरता
-----------वे सभी हमारी ही तरह आत्मार्थी ही हें ,और आत्मार्थियों से द्वेष कैसा ? वे तो वात्सल्य के पात्र हें , और इसीलिये किसी से शत्रुता करना या किसी के प्रति द्वेष पालना या द्वेषपूर्ण व्यवहार करना न तो हमारी वृत्ति है और न ही हमारी नीति , हम सदा इसी नीति पर कायम रहेंगे -----------------------
------------------------दार्शनिक मान्यताएं सबका अपना व्यक्तिगत अधिकार है , इनका प्रभाव लोकोत्तर है , इनका सम्बन्ध भव के अभाव से है , इनमें दखलंदाजी करना किसी का अधिकार नहीं हो सकता है , उसमें किसी का दखल नहीं होना चाहिए , इन बिषयों में हम कभी किसी का दबाब और दखल स्वीकार नहीं करेंगे .
धार्मिक परम्पराएं , उपासना पद्धति और पूजा - अर्चना की विधि सबके अपने - अपने सोच और विश्वास पर निर्भर करती हें , उनमें किसी भी स्तर पर बाहरी दबाब उचित नहीं है . इन बिषयों में न तो हम किसी पर जोर जबरदस्ती करेंगे और न ही किसी की जोर जबरदस्ती स्वीकार करेंगे , हम चाहते हें क़ि सब लोग अपने - अपने स्थानों पर प्रचलित पद्धति के अनुसार अपनी आस्था और विश्वाश के अनुरूप पूजा - उपासना के लिए स्वतंत्र रहें .-------------------
-----------------------हम कभी भी किसी भी सामाजिक विग्रह का कारण नहीं बनेंगे और सदा ही बिना शर्त सामाजिक एकता के लिए कार्य करते रहेंगे .---------------------
-------------------------जिनवाणी के प्रवक्ताओं , वक्ताओं और शिक्षकों का समाज पर असीम उपकार है और तत्वप्रचार का यह महान कार्य सिर्फ उन्हीं के समर्पण का प्रतिफल है , वे ही हमारी शक्ति हें और वे ही हमारे विशवास के केंद्र बिंदु ----------------आइये हम सभी इस अभियान को दीर्घजीवी बनाने का संकल्प लें .
pls click on link bellow ( blue letters ) to read full -
http://www.facebook.com/pages/Parmatmprakash-Bharill/273760269317272

No comments:

Post a Comment