Sunday, September 16, 2012

अन्यत्र जब भी खोजा , तू मूर्ख ही बना है


अन्यत्र जब भी खोजा 
तू मूर्ख ही बना है 
सुख गुण है आत्मा का 
तू खुद ही आत्मा है 

1 comment:

  1. पंक्तिओं में कबीर जी की बाणी है
    बुरा जो देखन मै चला बुरा न मिलिया कोई

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