Saturday, September 22, 2012

लगता है क़ि सिर्फ उतना ही बोलना उचित है जितना अत्यंत आवश्यक हो .

बात छोटी हो या बड़ी , जो कुछ भी देखता-सुनता हूँ तो तुरंत बड़े सटीक कमेन्ट दिमाग में आते हें , पहिले तो बोल भी देता था पर अब सोचने विचारने के बाद नहीं बोलने में ही सबसे ज्यादा फायदा नजर आता है , लगता है क़ि सिर्फ उतना ही बोलना उचित है जितना अत्यंत आवश्यक हो .

1 comment:

  1. आपकी सोच आपके गणित के अनुसार सही हो सकती है. लेकिन जो हमें लगे वह बोलना ही चाहिए भले ही लोग उसे पसंद करे या न करे

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