Sunday, July 21, 2013

अब दिल की अतार्किक बातें सुनना बंद करदे . उस आबारा की भटकन पर रोक लगा . अपना विवेक जाग्रत कर ,

अगर हालात बदलने हें तो दिल की सुनना छोड़ दे . 
इसने आज तक सही और अच्छा किया ही क्या है ?
-परमात्म प्रकाश भारिल्ल 

अब तक दिल की सूनी तभी तो यह दुर्दशा हुई है , अब भी क्या यही करता रहेगा ?

दिल तो मनमौजी है . 
अब तक तू दिल की ही तो सुनता आया है !
दिल ने जो चाहा , तेरे चाहे या अनचाहे तुझसे करबा लिया है . 
न तो सही गलत का विचार और न ही उचित-अनुचित का , यहाँ तक कि अपने ही हित-अहित का तक विचार नहीं करने दिया . 
आज तू जो कुछ है , इसी का परिणाम है और अब यही करता रहेगा तो ऐसा ही बना रहेगा , इसी दायरे में कैद रहेगा . 
यदि आगे बढना है , यदि बदलना है , यदि हालात बदलने हें तो यह क्रम तोड़ना होगा . 
अब दिल की अतार्किक बातें सुनना बंद करदे . उस आबारा की भटकन पर रोक लगा . 
अपना विवेक जाग्रत कर , 
तर्क-वितर्क से सही-गलत , उचित-अनुचित , नैतिक-अनैतिक , हितकारी-अहितकारी का विचार कर !
अनुभवी गुरुजनों के साथ अपने निष्कर्ष का मिलान कर और सही पाए जाने पर द्रढ़ता के साथ उस मार्ग पर आगे बढ़जा . 
तू अनादि की दासता से मुक्त हो जाएगा . 
तेरा कल्याण होगा . 


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